Sri Satguru
(Principal)
Principal Message
प्रधानाचार्य की कलम से................
शिक्षा मानव जीवन की जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त चलने वाली सतत् व अनवरत प्रक्रिया है। शिक्षा मानव के शारीरिकक मानसिक नैतिक व आध्यात्मिक विकास का सबसे सशक्त माध्यम है। शिक्षा हमें स्वावलम्बी बनाती है। चुनौतियों से लड़ते समय हमारा सम्बल बनाती है। भारत विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में को शिक्षा प्रदान की जा रही है। उसने हमें विज्ञान व तकनीकी क्षेत्रों में बुलन्दियों. तक पहुंचाया है। किन्तु इसके साथ ही हमें, आधुनिकता की चकाचौंध और भौतिकता की आधी ने हमें अनैतिकता और संस्कार हीनता की ऐसी गहरी खाई में ढकेल दिया है। जहां से निकल पाना हमारे लिए मुश्किल होता जा रहा है। मानव ने शिक्षित बनने के साथ अपनी आत्मा को बेचा है। जितना अधिक हम शिक्षित होते जा रहे है। उतना ही हम संस्कारहीन व असभ्य बनते जा रहे है। समाज से आदर्श, नैतिकता व आध्यात्मिक मूल्य तिरोहित होते जा रहें है। दिनो दिन स्वार्थपरता संवेदन हीनता क्षुद्रता ईष्या और वैमनस्यता जैसे विकार हमारे अन्दर पन पते चले जा रहें है। आज की शिक्षा रोजगारपरक होने के साथ-साथ मूल्यपरक व संस्कारवाही हो तभी सच्चे अर्थो में शिक्षा का उद्देश्य पूरा होगा और हम स्वयं को शिक्षित व सभ्य कहलाने के आधकारी होगे विद्यालय परिवार समर्पित प्रवन्धतन्त्र के निर्देशन में अपने छात्रों में इन्ही उदात्त मूल्यों का बीजारोपण करने और आदर्श संस्कारों को पुष्पित पल्लवित करने के लिए कृतसंकल्प है। इस हेतु आप सब के गरिमा मयी सहयोग की हमें अपेक्षा है। हमारा विश्वास है। कि आपके अपेक्षित सहयोग से हम देश के सुयोग्य नागरिकों की लहलहाती फसल तैयार करने के अपने संकल्प को पूरा करने में निश्चित रूप से सफल होगें।